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  • मैथिल ब्राह्मण गोत्र

    समस्त भारतवर्ष में सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज के केवल 24 ऋषि मूल गोत्र कर्ता हैं जिनमें से मैथिल ब्राह्मण समाज के 15 ऋषि गोत्र हैं। 1.शाण्डिल्य, 2.वत्स, 3.काश्यप, 4.पाराशर, 5.भारद्वाज, 6.कात्यायन, 7.गौतम, 8.कौशिक, 9.कृष्णात्रेय, 10.गार्ग्य, 11.विष्णुवृद्धि, 12.सावर्णि, 13.वसिष्ठ, 14.कौण्डिन्य, 15.मौद्गल

    जिन गोत्रों का सामवेद है, उनकी कौथुमी शाखा और गोभिल सूत्र है। वामशिखा अर्थात् बांये ओर घुमाकर शिखा में गांठ देना और बांये पाद अर्थात् यज्ञादि शुभ कार्य में वाम चरण प्रथम पक्षालन करना तथा गांधर्व उपवेद और विष्णुदेवता है।

    जिन गोत्रों का यजुर्वेद है, उनकी धनुर्वेद उपवेद है और माध्यान्दिनी शाखा, कात्यायन सूत्र, दक्षिण शिखा अर्थात् शुभ कार्य में दाहिनी ओर घुमाकर शिखा में गांठ देना और दक्षिण पैर धोना और शिव देवत है। मैथिल ब्राह्मणों की इष्ट देवी दुर्गा है। गायत्री गुरू मंत्र है।

    कश्यपौ वत्स शांडिल्या, कौशिकश्च धनंजया।
    षडंते विप्राः सामवेदाः, शेषे यजुर्वेदिनः।।

    इनमें कश्यप, वत्स, शांडिल्य और कौशिक सामवेदी व शेष यजुर्वेदी होते हैं।

    क्रमांक गोत्र प्रवर संख्या नाम प्रवर वेद
    1 शान्डिल्य त्रि प्रवर शाण्डिल्य, असित, देवल सामवेद
    2 वत्स पंच प्रवर और्व, च्यवन, भार्गव, जमदग्नि, आल्पवान सामवेद
    3 काश्यप त्रि प्रवर काश्यप, वत्स, नैधु्रव सामवेद
    4 पाराशर त्रि प्रवर

     

    पाराशर, शक्ति, वसिष्ठ यजुर्वेद
    5 भारद्वाज त्रि प्रवर भारद्वाज, अंगिरस, वार्हस्पत्य यजुर्वेद
    6 कात्यायन त्रि प्रवर कात्यायन, विष्णु, अंगिरस यजुर्वेद
    7 गौतम त्रि प्रवर अंगिरा, वसिष्ठ, गार्हस्पत्य यजुर्वेद
    8 कृष्णात्रेय त्रि प्रवर कृष्णात्रेय आल्पवान, सारस्वत यजुर्वेद
    9 गार्ग्य पंच प्रवर गार्ग्य, धृतकौशिक, मांडव्य, अथर्व, वैशम्पायन यजुर्वेद
    10 विष्णुवृद्धि त्रि प्रवर विष्णुवृद्वि, च्यवन, वार्हस्पत्य यजुर्वेद
    11 सावर्णि पंच प्रवर और्व, च्यवन, भार्गव, जमदग्नि, , अल्पवान सामवेद
    12 कौशिक त्रि प्रवर कौशिक, अत्रि जमदग्नि सामवेद
    13 वसिष्ठ त्रि प्रवर वसिष्ठ, अत्रि, सांकृति यजुर्वेद
    14 कौण्डिन्य त्रि प्रवर कौण्डिन्य, आस्तीक, कौशिक यजुर्वेद
    15 मौद्गल त्रि प्रवर मौदगल, अंगिरस, वार्हस्पत्य यजुर्वेद