• कार्यालय : गली न० - 4 ज्वालापुरी , नौरंगाबाद अलीगढ-202001 (उत्तर प्रदेश )
  • mbmaligarh2019@gmail.com
  • +91-9259647216
  • 1-   न्यायसूत्र के प्रणेता महर्षि गौतम

    इनके सम्बन्ध में स्कन्दपुराण का कथन है- आसीद् ब्रह्मपुरी नाम्ना मिथिलायां विराजिता, तस्याम् लसति धर्मात्मा गौतमो नाम तापसः। मिथिला में ब्रह्मपुरी नामक ग्राम में गौतम रहते थे। गौतम का स्थान आज भी मिथिला में कमतौल रेलवे स्टेशन के पास गौतम स्थान के नाम से प्रसिद्ध है। यह दरभंगा शहर से 28 मील उत्तर में है। न्याय दर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परमतपस्वी एवं संयमी थे। ये अक्षपाद और मेघातिथि नाम से परिचित है। महाराज वृहदृव की पुत्री अहल्या उनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाणी बन गयी थी। त्रेता में भगवान राम की चरण रज से अहल्या का शाप मोचन हुआ। वह पाषाणी से पुनः ऋषि पत्नी हुई।