2- ऋषि श्रृंग –
ये भी विख्यात मैथिल विद्वान थे। ऋषि श्रृंग इतने विख्यात थे कि राजा दशरथ ने भी उनके पुत्रेष्टि यज्ञ के सम्पादन हेतु कौशिकी घाट पर आमंत्रित किया था। वे काश्यप शाखा से सम्बद्व थे।
3- याज्ञवल्क्य–
कृतिजनक की सभा में याज्ञवल्क्य अग्रणी दार्शनिक थे। उस समय के प्रसिद्ध आठ प्रसिद्ध दार्शनिकों ने उनसे अध्यात्म सम्बन्धी कठिन प्रश्न किये थे। उन प्रश्नकर्ताओं के नाम थे उद्दालक, आरूणि, अश्वल, जारत्कारव, लार्वमाग, भुज्य, लाहयायानि, उशस्त चाकायण, कहोड़ कौशीतरेय, विदग्घ साकल्य तथा गार्गीवास्नवी। याज्ञवल्क्य ने सबको परास्त किया था।
शुक्ल यजुर्वेद के प्रणेता शतपथ ब्राह्मण में प्रतिपादित कर्मकाण्ड के अधिकारी विद्वान तथा वृहदारण्यक उपनिषद में प्रोक्तदर्शन के प्रस्तोता याज्ञवल्क्य मिथिला के वरेण्य पुत्र थे।
याज्ञवल्क्य मुनि देवरात के पुत्र तथा मैथिल ब्राह्मण थे। यह विषय उनकी संहिता में स्पष्ट लिखा है।