(**** मैथिल ब्राह्मणोत्पत्ति ***)
सृष्टि के प्रारम्भ काल में ब्राह्मण एक ही प्रकार का था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, तब एक स्थान पर रहने वाला ब्राह्मण विभिन्न स्थानों पर रहने के कारण, स्थान भेद से विभिन्न प्रकार का कहा जाने लगा। (*) मिथिला दर्शनशास्त्र व प्रकाण्ड पण्डितों की जन्मभूमि रही है, जो ब्राह्मण मिथिला (*) में वास करते थे, वह मैथिल ब्राह्मण कहलाये। यहाँ का ब्राह्मण कर्मकाण्डी, धर्मोपदेश, ज्योतिष, मीमांसा के ज्ञाता व नीति के मर्मज्ञ होते थे। (*)
(*)—-(अधिक जानकारी के लिए )