10.आदित्य नारायन, अभिनेता, पाश्र्वनायक
आदित्य नारायण भारतीय फिल्म अभिनेता, संगीतकार व गायक हैं, जो बॉलीवुड गायक उदित नारायण और दीपा नारायण के पुत्र हैं। इन्होंने पहले रंगीला नामक फिल्म में गाना गया था। उसके बाद 1995 में अपने पिता के साथ “अकेले हम और अकेले तूम” में काम किया।
सफर
इन्होंने अपने गायिका का सफर 1995 में “रंगीला” नामक फिल्म से शुरू किया। इसके बाद “अकेले हम और अकेले तुम” में अपने पिता के साथ काम किया। इस फिल्म में संगीत निर्देशक अनु मलिक थे।[1] इनका अभिनय का सफर भी 1995 में शुरू हुआ। तब यह बाल कलाकार थे और निर्माता व निर्देशक सुभाष घई इन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह के दौरान देखा था। इसके बाद सुभाष ने इन्हें अपने आगामी फिल्म “परदेश” के लिए चुन लिया। इसके बाद “जब प्यार किसी से होता है” फिल्म में भी इन्होंने काम किया। इस फिल्म के लिए 1999 में इनका नामांकन ज़ी सिने पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए हुआ था।
बाल कलाकार के रूप में इन्होंने 100 से अधिक गाने गाये हैं। इनका सबसे अधिक प्रसिद्ध गाना “छोटा बच्चा जान के” है, जो 1996 के मासूम फिल्म का है। इन्हें सबसे पहला फिल्म पुरस्कार 1997 में स्क्रीन पुरस्कार के तरह से सर्वश्रेष्ठ बाल गायक का पुरस्कार मिला था। इसी गाने के लिए इन्हें स्क्रीन पुरस्कार की ओर से एक और पुरस्कार मिला था।
प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म | पात्र | संगीत निर्देशक |
२०१३ | गोलियों की रासलीला रामलीला | पार्श्वगायक | संजय लीला भंसाली |
२०१० | शापित | अभिनेता, संगीत निर्देशक, पार्श्वगायक | चिरंतन भट्ट |
२००९ | चल चलें | पार्श्वगायक | इलैयाराजा |
मैथिली ठाकुर- पाश्र्व गायक
मैथिली ठाकुर एक भारतीय गायिका हैं। वह 2017 में प्रसिद्धि के लिए बढ़ी जब उसने राइजिंग स्टार के सीज़न 1 में भाग लिया। मैथिली शो की पहली फाइनलिस्ट थी, उन्होंने ओम नमः शिवाय गाया, जिसने फाइनल में उनकी सीधे प्रवेश किया। वह दो वोटों से हारकर दूसरे स्थान पर रही। शो के बाद, उनकी इंटरनेट लोकप्रियता बढ़ गई। YouTube और Facebook पर उनके वीडियो अब 70,000 से 7 मिलियन के बीच मिलते हैं। वह मैथिली और भोजपुरी गाने गाती है जिसमें छठ गीत और कजरी शामिल हैं। वह अन्य राज्यों से कई तरह के बॉलीवुड कवर और अन्य पारंपरिक लोक संगीत भी गाती हैं।
मैथिली का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में स्थित बेनीपट्टी नामक एक छोटे से शहर में हुआ था। उनके पिता रमेश ठाकुर, जो खुद अपने क्षेत्र के लोकप्रिय संगीतकार थे, और माता भारती ठाकुर, एक गृहिणी। उसका नाम उसकी मां के नाम पर रखा गया था। उसके दो छोटे भाई हैं, जिनका नाम रिशव और अयाची है, जो उनकी बड़ी बहन की संगीत यात्रा का अनुसरण करते हैं, जो तबला बजाकर और गायन में उनका साथ देते हैं। उसने अपने पिता से संगीत सीखा। अपनी बेटी की क्षमता को महसूस करते हुए और अधिक अवसर प्राप्त करने के लिए, रमेश ठाकुर ने खुद को और अपने परिवार को द्वारकानियर नई दिल्ली में स्थित किया। मैथिली और उनके दो भाइयों की शिक्षा वहाँ के बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल में हुई थी। यहां तक कि उनकी पढ़ाई के दौरान, तीन भाई-बहनों को उनके पिता ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, हारमोनियम और तबला (रिशव के मामले में) में प्रशिक्षित किया था।
मैथिली की संगीत यात्रा 2011 में शुरू हुई, जब वह ज़ी टीवी में प्रसारित होने वाले लिटिल चैंप्स नामक एक रियलिटी शो में दिखाई दी। हालाँकि वह पहले भी कई स्थानीय कार्यक्रमों में दिखाई दी थीं, लेकिन इस रियलिटी शो के माध्यम से उन्हें पहचान मिली। चार साल बाद, उन्होंने एक और रियलिटी शो, इंडियन आइडल जूनियर, सोनी टीवी में प्रसारित किया। लेकिन वह रियलिटी शो राइजिंग स्टार के माध्यम से एक राष्ट्रीय सनसनी बन गई, जिसमें वह रनर-अप के रूप में समाप्त हुई। शो के शुरुआती दौर से ही, मैथिली में अधिक लोकप्रियता थी, जिसने आसानी से चुनौतीपूर्ण गाने भी गाए थे।
वह अपने दो छोटे भाइयों रिशव और अयाची के साथ देखी जाती है। रिशव तबले पर हैं और अयाची एक गायक हैं। 2019 में मैथिली और उनके दो भाइयों को चुनाव आयोग द्वारा मधुबनी का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया। उन्होंने 2015 में एक भारतीय संगीत शो “आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार” जीता और उन्होंने एक एल्बम हां रब्बा (यूनिवर्सल म्यूजिक) भी लॉन्च किया। उनके फेसबुक चैनल के 2 मिलियन से अधिक फॉलोअर हैं और इंस्टाग्राम पर उनके 700,000 से अधिक अनुयायी हैं।
प्रो0 डा0 फूल बिहारी शर्मा
श्री शर्मा का जन्म अलीगढ़ के एक प्रतिष्ठित परिवार में सन् 1936 में हुआ। पाराशर गोत्रीय डा0 शर्मा नरओन मलछाम मूल ग्राम के हैं। आपके पूर्वज मध्यकाल में ब्रज में आये। अठारहवीं शताब्दी के अंतिम चरण में आपके एक पूर्वज श्री मानिक ठक्कुर हाथरस के राजा दयाराम के आश्रय में पत्राचार के कार्य में नियुक्त थे। आपने हिन्दी में विश्वविद्यालय में उच्च स्थान प्राप्त किया। अंग्रेजी में एम0ए0 तथा एल0एल0बी0 की उपाधि प्राप्त की। पी-एच0ी0 की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त आप अलीगढ़ विश्वविद्यालय में व्याख्याता नियुक्त हुए। कुछ वर्षों के बाद आपने आलोचना शास्त्र में डी0लिट0 की उपाधि प्राप्त की। इस बीच आपने रीडर तथा उसके बाद प्रोफेसर का पद प्राप्त किया। आपके निर्देशन में अनेक छात्र-छात्राओं ने पी-एच0डी0 की उपाधियाँ प्राप्त की और वे देश-विदेश के विश्वविद्यालयों में शिक्षणरत हैं। आप साहित्य, इतिहास और संस्कृत के गम्भीर विद्वान हैं। आपने अनेक ग्रन्थों की रचना की है। समाज सम्बन्धी पुस्तकों में ‘हमारे प्रवास का इतिहास’’ पुस्तक में मैथिल ब्राह्मणों के केन्द्रीय ब्रज में निवास का प्रामाणिक विवरण है।
चन्द्रमोहन झा, आई0ए0एस0, चन्द्रशेखर झा, आई0सी0एस0, मदन झा आई0ए0एस0
1- चन्द्रमोहन झा- (आई0ए0एस0, आर0आर0)
सहायक जिलाधीश एवं कलक्टर, पूर्निया, अधिवासीः बिहार, शैक्षिक योग्यताः एम0एस0सी0, जन्मतिथिः 10 जनवरी 1943 राष्ट्रीय अकादमी मसूरी, प्रशिक्षण 14 जुलाई 1964, चयन- 1964 में आयोजित प्रतियोगी परीक्षा प्रथम नियुक्ति 14 जुलाई 1965 में कार्य किया।
2- चन्द्रशेखर झा- (आई0सी0एस0 1934) ग्राम हनुमानगंज जिला मधुवनी बिहार आपने प्रथम आई0सी0एस0 परीक्षा उत्तीर्ण कर विदेश सेवा चुना। पेरिस में राजदूत रहे। संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त हुए और सन् 1963 में विदेश सचिव बने।
3- मदन झा- (आई0ए0एस0-आर0आर0)
अधिवासीः बिहार, शैक्षिक योग्यताः एम0ए0, जन्मतिथि 23 मार्च 1941, बिहार और पटना विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।
14 सुबोधनाथ झा (आई0ए0एस0)
ये शाण्डिल्य गोत्रीय सरिसवे खांगुर मूल के हैं। श्री सुबोधनाथ झा भारतीय प्रशासनिक (आई0ए0एस0) सेवा में 1972 बैच के अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी सूझबूझ और प्रशसनिक दक्षता से उत्तर प्रदेश शासन में अपना एक अनूठा स्थान बनाया है। आपका जन्म 07.01.1948 में हुआ व विवाह 28.04.1969 में श्रीमती नीलम झा के साथ हुआ, आप अपने सेवाकाल में निम्न स्थानों पर तैनात हैं। आप 1978-86 में जिलाधिकारी के पद पर पीलीभीत, गाजीपुर, देवरिया, अलीगढ़ में रहे तथा 1986-87 में स्वास्थ्य विभाग उ0प्र0 शासन में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे। 10 फरवरी 1995 में राज्यपाल के सचिव के पद पर यू0पी0 लखनऊ में रहे। 28 अक्टूबर 1996 में सचिव के पद पर शहरी गरीबी क्रान्ति एवं रोजगार विभाग उ0प्र0 शासन में रहे। 8 अप्रैल 1999 में अध्यक्ष एवं प्रबन्ध के पद पर उ0प्र0 राज्य टैक्सटाईल निगम सहकारी संघ कानपुर में रहे। 7 जून 1999 में प्रमुख सचिव के पद पर भूमि निकाय जल संसाधन विभाग उ0प्र0 शासन में कार्यरत रहे तथा 15 मार्च 2001 से 24 अगस्त 2001 तक आगरा मण्डल आगरा में आयुक्त के पद पर कार्यरत रहे।
15 नवीन कुमार चौधरी (आई0ए0एस0), आलोक रंजन झा (आई0ए0एस0)
आई0ए0एस0 परीक्षा 1993 में छठवां स्थान प्राप्त। आपके पिता का नाम श्री देवकान्त चैधरी, माता का नाम श्रीमती बैदेही देवी है। श्री चैधरी ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित आई0ए0एस0 की प्रतिष्ठित परीक्षा में दूसरे प्रयास में ही छठवें स्थान पर चयनित होकर एक अत्यन्त गौरवपूर्ण उपलब्ध अर्जित की है। पूर्णतः ग्रामीण परिवेश एवं पृष्ठभूमि से निकलकर आगे आने एवं ऐसी गरिमा पूर्ण उपलब्धि प्राप्त करने में सफल होने से इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
16 वेदराम वेदार्थी
श्री वेदार्थी का जन्म बिर्रा जनपद अलीगढ़ में 14 अगस्त 1925 को मैथिल ब्राह्मण जजवाडे मूल परिवार की जमुनी शाखा में हुआ था। आपका गोत्र शाण्डिल्य व बीजी पुरूष भवनाथ मिश्र हैं। कालान्तर इसी वंश में पं0 नन्दराम हुये। श्री वेदार्थी पं0 नंदराम के प्रपौत्र, श्री कुमर सेन के पौत्र एवं पं0 छेदीलाल के पुत्र है। सन् 1950 में आप पटेल नगर अलीगढ़ में आकर बसे और मकान बनाकर स्थाई रूप से रह रहे हैं।
शिक्षाः एम0ए0 (राजनीति शास्त्र, मनोविज्ञान, साहित्यरत्न, सिद्धान्त शास्त्री,एम0एड0, पी0एच0डी0)
दर्शन और इतिहास आपके स्वाध्याय के विषय हैं हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत भाषा के आप विद्वान हैं। आप महान समाज सुधारक, विचारक, चिन्तनशील व्यक्ति है। प्रभावी भाषण समाज सुधार, नैतिक शिक्षा, दर्शन पर दे सकते हैं।
रचनात्मक कार्यः आपने 1955 के बाद शिक्षक शिक्षा पर कई पुस्तकें लिखी हमारे शिक्षा प्रतिवेदन, मांगल शिक्षा प्रणाली, 1944 का शिक्षा अधिनियम और परीक्षाऐं काफी लोकप्रिय हैं।
17 विनोद झा आई0ए0एस0 (उडीसा काडर), वी0एन0 झा आई0ए0एस0 (बिहार काडर), विनय झा आई0ए0एस0 (बिहार काडर), अशोक कुमार आई0ए0एस0 (आन्ध प्रदेश काडर)
विनोद झा – आई0ए0एस0 1966 उडीसा काडर के हैं
बी0एन0झा – आई0ए0एस0 1967 बिहार काडर के हैं
विनय झा – आई0ए0एस0 1966 बिहार काडर के हैं
अशोक कुमार झा- आई0ए0एस0 1969 आन्ध प्रदेश काडर के हैं
18 स्वामी ब्रह्मनन्द सरस्वती
परम श्रद्वेय स्वामी जी का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के अन्तर्गत अतरौली तहसील के ग्राम मौसिमपुर में 26 अप्रैल सन् 1853 ई0 में हुआ था। आपके पिता जी का नाम पं0 हुलासीराम था। आप सरिसव मूल के शाण्डिल्य गोत्रीय मैथिल ब्राह्मण थे। आपका पूर्व नाम रणधीर था। आपने वेद उपनिषद आदि के साथ हिन्दी संस्कृत आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान अर्जित किया था। आपके उपनयन आदि संस्कार समयानुसार सम्पन्न हुए। कुछ समय गृहस्थाश्रम में रहने के पश्चात सन्यास ग्रहण कर लिया और स्वामी ब्रह्मनन्द के नाम से विख्यात हुए। आप अयोध्या काशी की पैदल यात्रा करते हुए मिथिलांचल में पहुंचे, वहां एकादश वर्ष निवास किया। वहां आपने मैथिल पंजी ज्ञान का पूर्ण अध्ययन एवं संकलन कर अलीगढ़ वापिस आये। यहाँ स्वामी जी के अथक प्रयास से मैथिल सिद्धान्त सभा और श्री मैथिल ब्राह्मण संस्कृत पाठशाला की रामघाट रोड पर सन् 1889 ई0 में स्थापना हुई। आपने समाजोत्थान के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर दिया। श्री स्वामी जी 22 फरवरी 1895 ई0 में ब्रह्मलीन हो गये।
19 सर हर गोविन्द मिश्र, भूतपूर्व सदस्य विधान परिषद
मिश्र जी एक सामान्य क्लर्क से उन्नति करते-करते प्रान्त के एक विशिष्ट व्यक्ति बन गये तथा शिक्षा, उद्योग, खेलकूद, समाज सेवा आदि के क्षेत्र में बड़ा यश अर्जित किया। मिश्र जी का जन्म अब से 69 वर्ष पूर्व अलीगढ के दुबे की सराय मुहल्ले में प्रवासी मैथिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता पं0 जय गोपाल मिश्र संस्कृत के ज्ञाता थे, उन्होंने वाराणसी में महाराजा दरभंगा द्वारा मैथिल ब्राह्मणों के लिए स्थापित पाठशाला में शिक्षा प्राप्त की थी।
वयस्क होने पर वे कानपुर के एक मिल में क्लर्क हो गए तथा अपनी प्रतिभा और लगन के बल पर दिन प्रतिदिन उन्नति करने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने इतनी महत्ता प्राप्त कर ली कि मिल के किसी कार्य से उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया। वहां से लौटकर उन्होने स्वतन्त्र रूप से व्यापार करने का इरादा किया। इंग्लैण्ड के औद्योगिक संस्थानों से सम्पर्क स्थापित कर मिश्र जी ने सुई बनाने वाली एक फर्म की एजेन्सी प्राप्त कर ली और अपने कार्य को उत्तरोत्तर बढाकर वे कानपुर के एक महत्वपूर्ण उद्योगपति माने जाने लगे। उनकी महत्ता से प्रभावित होकर अंग्रेज सरकार ने उन्हें सर की उपाधि प्रदान की थी। मिश्र जी व्यापार, शिक्षा, खेलकूद के साथ वे राजनीति में भी भाग लेते रहते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया था। उनकी गणना प्रदेश के विशिष्ट तथा प्रभावशाली व्यक्तियों में की जाती थी।
20 पं0 फूलचन्द्र मिश्र, आनरेरी मजिस्ट्रेट
पं0 फूलचन्द्र्र मिश्र का जीवन शिक्षा क्षेत्र में बीता तथा एक कुशल अध्यापक एवं प्रशासक के रूप में उनकी ख्याति चिर स्थायी है। श्री मिश्र जी का जन्म ग्राम मीतई में जो हाथरस से आगे अलीगढ़ आगरा रोड पर स्थित है तीन दिसम्बर सन् 1882 ई0 को एक प्रवासी मैथिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था, इनका गोत्र कश्यप तथा मूल ग्राम मडरे मिसरौली है। पं0 सुखराज मिश्र के आप ज्येष्ठ पुत्र थे, तथा आपके पांच छोटे भाई और हैं। आपके पितामह पं0 ठाकुर दत्त मिश्र थे। सन् 1920 ई0 में उन्होंने सब डिप्टी इन्सपैक्टर ऑफ स्कूल का पर प्राप्त किया। सन् 1937 में उन्होंने अवकाश ग्रहण किया। जब कांग्रेस मंत्रिमण्डल सत्तारूढ़ हुआ तो मिश्र जी की नियुक्ति आनरेरी मजिस्ट्रेट के पद पर की गयी। इस सम्मानित पर सन् 1940 तक रहे।